वादा कर अपने आप से तू, 
किसी के लिए कभी खुद ना बदले...
अपनी इच्छाओं को मार, दूसरों के लिए न तरसे |  
कर वही, जो सही लगे, ना की वो जो लोग कहें...

जिंदा हो, इंसान हो तुम, 
वक्त बुरा भले, सही तो हों?
कितने बरस हैं बीत गए... आगे पीछे दौड़ते दौड़ते...
अब बस तू बैठ जा... थोड़ा सा तो ठहर जा...

वक्त का पहिया चलने दे,
दिन को थोड़ा ढलने दे...

विचारों को विराम दे, 
अपने आप को थोड़ा संभाल ले...
इंसान है तू, भगवान नही,
अडिग रहे, गलत सही |

खुश रह क्यों तू इंसान है,
ना कर अफ़सोस, तुझपे इतना भार न है...
अपनी खुशियों का रचयिता-क्रेता है तू,
जो बीत गया सो बीत गया,
अब बस तू बैठ जा... 

थोड़ा सा तो ठहर जा,
विचारों को विराम दे...
भागम-भाग रोक कर, 
वक्त का पहिया चलने दे ...
दिन को थोड़ा ढलने दे |

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